पीरामल फायनांस की यात्रा सतत क्रमागत विकास की कहानियों में से एक रही है. इसमें मौजूदा ग्राहकों से मिली प्रतिक्रियाओं के अनुसार काम करने से लेकर बाज़ार में नए अवसरों को तलाशने तक अनेक आयाम शामिल हैं, जिससे यह एक संधारणीय, सिद्धांत-चलित वित्तीय सेवा उद्यम के रूप में स्थापित हो सके. पीरामल ग्रुप का वित्तीय सेवा व्यवसाय एक तृतीय पक्ष केन्द्रित न्यासी के रूप में अस्तित्व में आया, जिसके अंतर्गत मुख्य रूप से रिटेल निवेशकों के लिए प्रतिफलों को साकार करने हेतु एक निश्चित अवधि के लिए पूँजी की व्यवस्था और उसकी तैनाती की जाती थी.इसके बाद एक रणनीतिक निर्णय लेते हुए स्वामित्व कर्ज-प्रदाय व्यवसाय शुरू करने के लिए एक एनबीएफसी की नींव रखी गई. आगे चलकर न्यासी व्यवसाय और एनबीएफसी के एकीकरण के माध्यम से इस प्लेटफॉर्म का पुनर्गठन किया गया, जिससे एक ऐसी अनोखी विभेदित रणनीति तैयार हो सके, जिसमें उत्पाद या लेन-देन से अधिक डेवलपर के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी जाती है. इस प्लेटफॉर्म ने एक अलग वर्टिकल भी शामिल किया, जिसे कॉरपोरेट फायनांस ग्रुप कहा जाता है (जो पहले से ही पीरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड के अंतर्गत स्ट्रक्चर्ड इन्वेस्टमेंट ग्रुप के रूप में मौजूद था) ताकि सभी सेक्टरों की कंपनियों को फंडिंग के अनुकूलित समाधान उपलब्ध करवाए जा सकें, जिससे यह प्लेटफॉर्म सेक्टर एग्नोस्टिक बन सके. हाल ही में इस प्लेटफ़ॉर्म ने व्यवसाय के स्वाभाविक विस्तार के रूप में हाउसिंग लोन के माध्यम से रिटेल फाइनेंसिंग के क्षेत्र में कदम रखा, और बाद में वर्ष 2020 में व्यावसायिक कर्ज देना भी शुरू किया, जिससे इसका कर्ज प्रदाय क्षेत्र और भी अधिक व्यापक हो सके.
पीरामल फायनांस की स्थापना पीरामल फायनांस के विलय के साथ हुई थी. होलसेल और रिटेल फायनांस बिज़नेसेस के विलय के साथ, एक एकीकृत संस्था गठित हुई, जिसमें दोनों की शक्तियाँ, विशेषज्ञता तथा फायदे संयुक्त हो गए.