पर्सनल लोन के लिए प्रोसेसिंग फ़ीस क्या है?

Personal Finance
19-06-2024
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आप अपने खर्चों को कवर करने के लिए पर्सनल लोन्स को सबसे बढ़िया फाइनेंशियल तरीका मान सकते हैं। हालांकि, पर्सनल लोन में इंट्रेस्ट के अलावा कुछ अतिरिक्त फ़ीस भी होती है। प्रोसेसिंग कॉस्ट के अलावा, लेंडर पर्सनल लोन की राशि पर बहुत सी अतिरिक्त फ़ीस लेते हैं।

 

पर्सनल लोन के लिए पहले प्रोसेसिंग फीस पर विचार करना महत्वपूर्ण है। इसलिए, लोन के लिए आवेदन करने से पहले, चाहे ऑफ़लाइन हो या पर्सनल लोन ऐप के ज़रिए, आपको अपने लेंडर से पूछताछ करनी चाहिए और इससे जुड़ी किसी भी फीस को ध्यान में रखना चाहिए।

 

आइए पर्सनल लोन के लिए प्रोसेसिंग फ़ीस का मतलब और इसे चार्ज करने वाले पर्सनल लोन लेंडर्स की वजह का पता लगाएं।

 

पर्सनल लोन के लिए प्रोसेसिंग फ़ीस का परिचय

लेंडर्स कर्जदार को यह सुनिश्चित कर के पर्सनल लोन देते हैं कि उनके पास अपने बिलों का पेमेंट करने के लिए पर्याप्त फंड है। हालांकि, कर्जदार के बैंक खाते में लोन राशि की अप्रूवल और डिस्बर्समेंट में कई प्रोसेस होती हैं, जिनमें से एक लोन प्रोसेसिंग है।

 

इस दौरान, लेंडर कर्जदार के लोन आवेदन को प्रोसेस करता है और उनके सहायक दस्तावेजों को चेक करता है। इसके अलावा, लोन के प्रोसेस में कर्जदार और लेंडर के बीच कानूनी एग्रीमेंट करने के लिए एडमिनिस्ट्रेटिव प्रॉसिजर्स से गुजरना पड़ता है।

 

कर्जदार के लोन आवेदन, यानी एप्लीकेशन, को प्रोसेस करने और अनिवार्य कानूनी एग्रीमेंट कराने के लिए एक प्रशासनिक फ़ीस लेंडर द्वारा कर्जदार पर मुआवजे के रूप में लगाई जाती है। पर्सनल लोन के लिए प्रोसेसिंग फ़ीस आमतौर पर अप्रूवड राशि का 0.5% से 4% तक होता है और यह लेंडर द्वारा कर्जदार को दी गई लोन राशि पर आधारित होता है। जीएसटी को अपनाने के कारण कर्जदार को अब कानूनी रूप से जीएसटी को लोन प्रोसेसिंग कॉस्ट में जोड़ना होगा।

 

पर्सनल लोन के लिए कॉमन चार्ज

 

प्रोसेसिंग फीस

बैंक उस लोन को प्रोसेस करने में पैसा खर्च करेगा जो प्रशासन, यानी एडमिनिस्ट्रेशन, से जुड़ा हुआ है। आमतौर पर, यह राशि 0.5% से 4% तक होती है। बैंकों के बीच पर्सनल लोन की प्रोसेसिंग कॉस्ट में अंतर होता है। पर्सनल लोन के लिए आवेदन करते समय, कर्जदार के पास दो ऑप्शन होते हैं:

(I) प्रोसेसिंग फ़ीस का अग्रिम पेमेंट करें, या

(II) इसे डिस्बर्स होने पर लोन राशि से कटवाएं।

 

वेरिफ़िकेशन फ़ीस

लोन अप्रूव करने से पहले, बैंक को भरोसा होना चाहिए कि आप इसे चुका सकते हैं। ऐसा करने के लिए वह आपकी क्रेडेंशियल को चेक करने के लिए थर्ड -पार्टी को नियुक्त करते हैं। आपके क्रेडिट रिकॉर्ड और लोन रीपेमेंट हिस्ट्री चेक की जाती है। इसमें शामिल खर्च वह अतिरिक्त कॉस्ट है जो बैंक खर्च करता है और कर्जदार द्वारा इसका पेमेंट किया जाना चाहिए। इस खर्च को वेरिफ़िकेशन फ़ीस माना जाता है।

जीएसटी

लोन आवेदन प्रोसेस या लोन रीपेमेंट अवधि के दौरान ज़रूरी किसी भी अतिरिक्त सर्विसेज के लिए, लोन आवेदक को GST के रूप में एक छोटी सी फ़ीस देनी होगी।

 

प्रीपेमेंट पेनल्टी

आप लोन पर इंट्रेस्ट, यानी ब्याज, का पेमेंट करते हैं, जिससे बैंक पैसे कमाते हैं। अग़र आप तय पीरियड से पहले अपने लोन का पेमेंट करते हैं तो आपके बैंक को नुकसान हो सकता है क्योंकि आप अपने लोन का पेमेंट जल्दी कर देंगे। इस नुकसान की भरपाई के लिए आपका बैंक आप पर प्रीपेमेंट पेनल्टी लगा सकता है।

 

ईएमआई लेट पेमेंट पर जुर्माना

जब कोई व्यक्ति लोन लेता है, तो उन्हें इसे ईएमआई या समान मासिक किस्तों में चुकाना होता है। ईएमआई का पेमेंट तय समय पर हो, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कर्जदार की होती है। अग़र आप ईएमआई का पेमेंट नहीं कर पाते हैं, तो आप पर जुर्माना लगाया जाएगा। परिणामस्वरूप, अपने फाइनेंस और लोन शर्तों की सही ढंग से प्लानिंग करना महत्वपूर्ण है, साथ ही ईएमआई राशि को पहले से तैयार रखना भी महत्वपूर्ण है।

 

प्रोसेसिंग फीस चार्ज करने की प्रक्रिया

अलग-अलग लेंडर्स द्वारा पर्सनल लोन्स के लिए प्रोसेसिंग फ़ीस का मूल्यांकन अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ऑनलाइन लेंडर डिस्बर्समेंट के समय लोन राशि से प्रोसेसिंग कॉस्ट घटाने की पॉलिसी अपनाते हैं। कुछ अन्य लेंडर आपका लोन अप्रूव होने के बाद आपके प्रोसेसिंग फ़ीस प्रोसेस कर देते हैं। 

इस प्रकार प्रोसेसिंग कॉस्ट पहले देने का अनुरोध किया जा सकता है या लोन राशि से कटवाई जा सकती है जब लेंडर इसे डिस्बर्स करता है।

 

ध्यान दें, अग़र लेंडर आपको लोन लेने की शर्त बता कर इंश्योरेंस या क्रेडिट फिटनेस रिपोर्ट जैसे किसी दूसरी चीजों को क्रॉस-सेल करने की कोशिश करता है तो आपको सावधान रहना चाहिए। कार्रवाई का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने लेंडर्स की फीस की तुलना बाजार में उसी लोन राशि ऑफर करने वाले अन्य लेंडर्स से करें।

 

पर्सनल लोन के लिए पात्रता

  • उम्र: आपकी उम्र 21 से 45 के बीच होनी चाहिए।
  • जॉब: पर्सनल लोन के लिए आवेदन करते समय, आपके पास प्राइवेट या पब्लिक ऑर्गेनाइजेशन में फुल टाइम जॉब होनी चाहिए।
  • कार्य अनुभव: इसके अतिरिक्त, आपके पास न्यूनतम छह महीने का कार्य अनुभव होना चाहिए।
  • टेन्योर: आपको इस पद पर कम से कम तीन महीने तक बने रहना चाहिए।
  • इनकम क्रेडिट: आपके बैंक खाते में आपकी इनकम जमा होनी चाहिए।
  • पे-चेक: अग़र आप टियर-I शहर में काम करते हैं और रहते हैं, तो आपकी मंथली टेक-होम सैलरी कम =से कम रु. 20,000 होना चाहिए। टियर- II आवेदक की टेक-होम सैलरी 15,000 रुपये प्रति माह से ज़्यादा होना चाहिए।  

 

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जब आप लोन लेते हैं तो आप उनकी फीस और आपके फाइनेंस पर उनके असर के आधार पर अलग-अलग लेंडर्स से पर्सनल लोन्स को एनालाइज और उनकी तुलना कर सकते हैं।

 

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हमारे पास जानकार सलाहकारों का एक ग्रुप है जो पूरी आवेदन प्रोसेस के दौरान आपकी सहायता कर सकता है और शीघ्र अप्रूवल और आपके खाते में तुरंत डिस्बर्समेंट का आश्वासन देता है।

 

निष्कर्ष

इन चार्ज के साथ भी, पर्सनल लोन ज़रूरत के समय फंडिंग का एक अच्छा ज़रिया हो सकता है। पीरामल फायनांस से जानें कि उपयुक्त परिस्थितियों में पर्सनल लोन आपको कैसे बचा सकता है।

 

अगर आप पर्सनल लोन के बारे में और सलाह चाहते हैं, तो आज ही हमसे संपर्क करें।

 

पूछे जाने वाले सवाल 

 

क्या प्रोसेसिंग कॉस्ट लोन राशि से आती है?

यह एक बार की कॉस्ट है जिसका आमतौर पर अग्रिम पेमेंट किया जाता है। प्रोसेसिंग फ़ीस का आकलन, यानी असेसमेंट, अक्सर आपके आवेदन के अप्रूवल के बाद ही किया जाता है।

 

क्या प्रोसेसिंग फ़ीस कानून द्वारा मान्य हैं?

हां। कार्ड ब्रांड या कार्ड प्रोडक्ट, लेकिन दोनों नहीं, का इस्तेमाल व्यापारियों द्वारा अलग-अलग फ़ीस लगाने के लिए किया जा सकता है।

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